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टाइफाइड का इलाज

टाइफाइड एक संक्रामक बीमारी है जो की साल्मोनेला नाम के बैक्टिरिया  की वजह से होता है।  टाइफाइड की वजह से शरीर में बुखार  आने लगता है , और शरीर का सारा हिस्सा दर्द करने लगता है। टाइफाइड एक जानलेवा बीमारी भी है जिसका समय पर इलाज न करवाने से इंसान की मौत तक हो सकती है। टाइफाइड को मियादी बुखारभी कहा जाता है। यह एक संक्रामक रोग है।  

टाइफाइड में लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए तथा इसका कोर्स पूरा किया जाना भी जरूरी है क्योंकि इसके दोबारा होने के चांसेस भी रहते है। 

                                                   

टाइफाइड के कारण 

टाइफाइड के बुखार को छूत का बुखार भी कहा जाता है। इस रोग के जीवाणु मुंह के रास्ते से पेट में चला जाता है , और छोटी आंत में गुच्छों के रूप में जम जाता है , जिससे लम्बे समय तक बुखार बना रहता है , इसलिए इसे मियादी बुखार भी कहा गया है। शरीर में अधिक थकावट अधिक उपवास करने , गंदे स्थानों में रहने तथा दूषित मल के संपर्क में आने और दूषित पदार्थ खाने से भी यह रोग होता है। बड़ी आंत तथा छोटी आंत को हानि पहुँचती है।  तिल्ली और जिगर भी प्रभावित होते हैं। रक्त और लसिका ग्रंथियों तथा मल - मूत्र में भी इस रोग के जीवाणु मिलते हानि।  इसके कारण शरीर में जलन होती है।  रोगी को उल्टी और प्यास लगती है।  रोगी की नींद उड़ जाती है, मुँह और जीभ सूखती रहती है।  गर्दन।, पेट , छाती आदि पर दाने निकल आते हैं। 

                                                    


टाइफाइड के लक्षण 

1   . कम भूख लगना , या बोलना चाहिए कि भूख लगती ही नहीं है। 

2   . पेट में दर्द होना। 

3   . जी मचलाना , सिर में दर्द होना। 

4   . पूरे शरीर में थकन सी महसूस होना। 

5   . शरीर के अंगो का दर्द करना। 

6   . शरीर का तापमान गर्म रहना। 

7   . 104 डिग्री का बुखार आना। 

8   .  रोग बढ़ने पर आँतों में खून आना । 

9   . कब्ज होना। 

10 . रोग बढ़ने पर तिल्ली और हड्डियों में सूजन आने लगती है , जिससे पेट का आकर बड़ा दिखाई देने लगता है। 

11 . कमजोरी लगना। 

12 . तनाव होना। 

                                                  


                                                     
टाइफाइड में लेने योग्य आहार 

1   . टाइफाइड के मरीजों को अधिक मात्रा में रस , सूप , तरल आहार और मिनरल वाटर लें। 

2   . टाइफाइड में दूध और इससे बने पदार्थ लें।

3  . रोगी को अगर जल्दी स्वस्थ होना है तो यह बहुत जरूरी है की वो ज्यादा से ज्यादा फलों का सेवन करें। 

4   .हमें ऐसा भोजन करना चाहिए , जिसमें प्रोटीन और कैलोरी की मात्रा ज्यादा हो और पचाने में भी आसान हो। 

5   . फलों  का जूस , नारियल पानी , ग्लूकोज़ के पानी का अधिक से अधिक प्रयोग करें। 

6   . सब्जियों का सूप , दलिया , सफ़ेद उबले हुए चावल , पालक का सूप , पतली रोटियां , केले और छाछ का मिक्स सेवन , मूंग की दाल और मूंग की खिचड़ी का प्रयोग करें। 

टाइफाइड में परहेज 

1   . तेज मसालेदार और तली हुई चीजों का प्रयोग न करें। 

2   . जिनकी गंध तीव्र हो जैसे कि प्याज , लहसुन ,

3   . यह न खाएं। .. गोभी , शिमला मिर्ची , शलजम , कटहल अनानास। 

4   . मसालों का उपयोग न करें। 

5   . जिन  फाइबर जयादा मात्रा में हों उनका सेवन न करें। 

6   . मक्खन , घी , पेस्ट्री , तले हुए आहार , मिठाईयाँ , मलाई आदि इनका प्रयोग बिलकुल न करें। 

7   . जिन भोजन में फाइबर ज्यादा मात्रा में हो उनका सेवन न करें। 

टाइफाइड का घरेलू इलाज 

1   . थोड़ी सी अदरक , तुलसी के पत्ते , दालचीनी , और काली मिर्च को अच्छे से पानी में उबाल लें और इसमें मिश्री डालकर उपयोग करने से टाइफाइड में बहुत आराम मिलता है। 

2   . सूरजमुखी और तुलसी के पत्तों का रस पीने से भी टाइफाइड बुखार में आराम मिलता है। 

3   . तिल  के तेल या  में 5  से 7 लहसुन की कलियाँ पीसकर तलें और इसमें सेंधा नमक मिलाकर खाएं।  कैसा भी बुखार हो इस उपाय को करने से आराम मिलता है। 

4   . 25 पत्तियां तुलसी की और एक चम्मच अदरक के पेस्ट को एक कप साफ़ पानी में डालकर उबालें। इसे तब तक उबालें जब तक ये आधा न रह जाए , अब इसमें शहद मिलाकर दिन में 2 - 3  बार इसका सेवन करें। 

5   . सेब का जूस एक गिलास , उसमें थोड़ा सा अदरक का रस अच्छी तरह से मिलाये और इसे पी लें।  दिन में एक बार इस जूस को जरूर पियें 

6   . लौंग की  6 - 7 कली लेकर और उन्हें 3 - 4 गिलास पानी में डालकर उबालें इस मिश्रण को तब तक उबालें जब तक आधा न रह जाए।  फिर इसे ढंक कर ठंडा होने के लिए रख दें।  दिन में 2 - 3 बार एक हफ्ते तक सेवन करें। 

7   . गाजर को छोटे - छोटे टुकड़ों में काटकर एक गिलास पानी में डालें , और इसे 8 - 10 मिनिट तक उबालें।  स्वाद के लिए थोड़ा सा काला नमक मिला लें।  टाइफाइड में जब भी दस्त लगे या पानी की कमी महसूस हो तो ये सूप पियें। 

8   . 2 लहसुन खाली पेट एक सप्ताह तक खाए।  इससे आपको टाइफाइड के शुरुआती लक्षणों में ही इस बुखार से निजात मिल जायेगी। 

9   . अदरक का रस , पान का रस और शहद को बराबर मात्रा में मिलाकर सुबह - शाम पीने से लाभ मिलता है। 

10 . अधिक से अधिक पानी का उपयोग करें।  पीने के पानी को पहले गर्म करे उसके बाद ठंडा होने के बाद उसका उपयोग करें।  अधिक पानी पीने से शरीर का जहर पेशाब और पसीने के रूप में बहार निकलता है। 

11 . लहसुन की कली पांच से दस ग्राम तक काटकर टिल के तेल में या घी में तलकर सेंधा नमक डालकर खाने से सभी प्रकार के बुखार ठीक हो जाते है। 

12 . तेज बुखार आने पर माथे पर ठंडे  कपडा रखें तो बुखार उतर जाता है। 

13 . पुदीना और अदरक का काढ़ा पीने से बुखार उतर जाता है।  काढ़ा पीकर घंटे भर आराम करें , बाहर हवा में न जाएं। 

14 . थोड़ी - थोड़ी देर में प्याज का रस पीने से बुखार उतर जाता है। 

15 . पके हुए एक केले को पीस लें और उसमे चम्मच शहद मिलाकर दिन में दो बार सेवन करने से टाइफाइड के बुखार में आराम मिलता है। 

16 . टाइफाइड में बार - बार करवट बदलकर सोते रहें। 

17 . टाइफाइड रोग से पीड़ित रोगी के बुखार को ठीक करने के लिए रोगी को प्रतिदिन गुनगुने पानी का एनिमा देना चाहिए।  तथा इसके बाद उसके पेट पर मिट्टी की गीली पट्टी लगानी चाहिए। 

18 . टाइफाइड रोग से पीड़ित रोगी के शरीर पर घर्षण क्रिया करने से भी टाइफाइड रोग जल्दी ठीक हो जाता है। 

19 . टाइफाइड रोगी के रीढ़ की हड्डी पर बर्फ की मालिश करने से बुखार कम हो जाता है। टाइफाइड रोग ठीक होने लगता है। 

20 . टाइफाइड रोग से पीड़ित रोगी को संतरे का रस दिन में दो बार पीना चाहिए।  इससे बुखार जल्दी ठीक हो जाता है। 

                                              


नोट  :- इस लेख में बताये गए नुस्खे आपकी जानकारी के लिए है। कोई भी उपाय करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें। पहले से ली जा रही कोई भी दवा बंद न करें। असुविधा होने पर इस साइट की कोई भी जिम्मेदारी नहीं होगी। 















सिर दर्द के लिए उपाय

सिर दर्द ( Headace ) में कपाल केसर दोनों और की कनपटियों में तेज दर्द होता है , जिसे सिर दर्द कहते हैं।  सिर , गर्दन या कभी - कभी पीठ के ऊपरी भाग के दर्द की अवस्था है।  यह सबसे अधिक होने वाली तकलीफ है , जो कुछ व्यक्तियों में बार - बार होता है। सिर दर्द अपने आप में कोई रोग नहीं है ,और यदि सिर दर्द बिना किसी कारण के उत्पन्न होता है तो यह 2 - 3  दिन में अपने आप ठीक हो जाता हैं। 

                                               
   

सिर दर्द के कारण 

1   . ज्यादा तनाव लेने से सिरदर्द होता है। 

2   . चिंता के कारण भी सिरदर्द होता है। 

3   . थकान। 

4   . माइग्रेन। 

5   . बहुत अधिक सोने से और नींद पूरी न होने से भी सिरदर्द होता है। 

6   . डीहाइड्रिशन। 

7   . स्मोकिंग और शराब पीने से भी सिरदर्द होता है। 

8   . आँखों पर अधिक दबाव पड़ने से भी सिरदर्द होता है। 

9   . अत्यधिक शोर से। 

10 . फोन पर जयादा बात करने से। 

11 . कभी - कभी अधिक व्यायाम कर लेने से सिरदर्द शुरू हो जाता है। 

12 . दांतों में दर्द के कारण भी सिरदर्द की शिकायत रहती है। 

13 . कभी - कभी कुछ दवाईयाँ भी सिरदर्द का कारण होती है। 

14 . अधिक देर तक टीवी देखने से भी सिरदर्द होता है। 

सिरदर्द के लक्षण 

1   . नाक से खून आना , धड़कन तेज होना , नजर का धुंधलापन , बेचैनी , सिर फटने जैसा महसूस होना , कभी - कभी उल्टी आना आदि। 

2   . आँखों में भारीपन महसूस होना , और सिर के दूसरी तरफ दर्द होना। 

3   . हाथ पर जोर से बंधे बैंड जैसा दर्द होता है। 

4   . पूरे सिर  में दर्द होता है , किसी एक बिंदु या एक तरफ नहीं होता। 

5   . दर्द दबाव के तरह होता है। 

6   .सिर के भीतर , गर्दन के पिछले हिस्से में और कन्धों में दर्द होता है। 

7   . नींद लगने में कठिनाई होती है। 

                                                  

सिरदर्द के घरेलू उपाय 

1   . कुछ - कुछ देर पर पानी की थोड़ी - थोड़ी मात्रा पीने से भी सिरदर्द में आराम मिलता है। एक बार आपका शरीर हाइड्रेटेड हो जाएगा तो सिर का दर्द भी धीरे - धीरे कम होने लगेगा। 

2   . लौंग की कुछ कलियों को गर्म कर लीजिए , फिर इन लौंग की कलियों को एक रुमाल में बांध लीजिए। कुछ - कुछ देर पर इस पोटली को सूंघते रहिए।  आप पाएंगे की सिर का दर्द कम हो गया है। 

3   . तुलसी के पतियों को पानी में पकाकर उसका सेवन कीजिए सिर दर्द होने पर इसकी चाय भी काफी फायदेमंद होती है। 

4   . एक सेब काट लें और उस पर नमक डालकर खाएं , सिरदर्द में राहत पाने के लिए ये बहुत कारगर उपाय है। 

5   .सिरदर्द में काली मिर्च और पुदीने की चाय का सेवन करना भी बहुत फायदेमंद होता है। 

6   . लौंग पाउडर और नमक का पेस्ट बना लें।  फिर इस पेस्ट को दूध में मिलाकर पिएं।  नमक में हाइग्रस्कापिक गुण पाया जाता है , जिससे यह सिर में मौजूद सभी द्रव्य पदार्थ को सोख लेता है।  नतीजन सिरदर्द से आराम मिलता है। 

7   . एक गिलास गर्म पानी लें , और उसमें नींबू का रस मिलाकर पिएं।  इससे आपको सिरदर्द में राहत पहुँचेगा। 

8   . सिरदर्द से छुटकारा पाने के लिए आप यूकेलिप्टस के तेल से मसाज करें। 

9   . गाय का गर्म दूध पीने से भी सिरदर्द से छुटकारा मिलता है। 

10 . सिरदर्द से छुटकारा पाने का सबसे अच्छा उपचार यह है कि दालचीनी को पीसकर पाउडर बना लें।  अब इसे पानी में मिलाकर पेस्ट तैयार करें , इस पेस्ट को सिर पर लगाने से आपको तुरंत आराम मिलेगा। 

11 . थोड़ा सा चंदन लेकर पानी के साथ उसका पेस्ट करें।  अब इस पेस्ट को अपने ललाट पर लगाएं।  आपका सिरदर्द पूरी तरह से ठीक हो जाएगा। 

12 . 10 - 15 मिनिट नारियल तेल से मसाज करने से भी आपको सिरदर्द से राहत मिलेगी। 

13 . लहसुन एक पेनकिलर के रूप में काम  करता है। कम से कम एक चम्मच रस निकालें और पिएं सिरदर्द में राहत मिलेगी। 

14 . जब आप सुबह उठें तो सेब पर नमक लगाकर खाएं।  इसके बाद गर्म पानी या दूध पीएं।  अगर आप लगातार 10 दिनों तक ऐसा करेंगे तो आप पाएंगे कि आपके सिरदर्द की समस्या ख़तम हो गई। 

15 . करीब 15 मिनिट तक बादाम के तेल से सिर का मसाज करने पर सिरदर्द से राहत पहुँचता है। 

16 . धनिया पत्ती , जीरा और अदरक से बनी चाय पीएं।  इससे सिरदर्द से काफी तेजी से राहत पहुँचता है। 

17 . पान अपने दर्दनाशक गुणों के लिए जाना जाता है।  इससे सिरदर्द को भी काफी जल्दी आराम पहुंचता है।  आप कुछ पान के पत्ते लें और उसका पेस्ट बना लें।  जब आप इसे अपने ललाट पर लगायेंगे तो सिरदर्द से बहुतआराम मिलेगा। 

18 . अगर आप सिरदर्द से निजात पाना चाहते हैं तो अच्छी नींद लें। 

19 . लौकी का गूदा सिर पर लेप करने से तुरंत आराम मिलता है। 

20 . एक्यूपंक्चर सिरदर्द और माइग्रेन को ठीक करने के लिए बहुत लाभकारी है।  सिरदर्द को दूर करने के लिए जबड़े वाला प्वाइंट दबाएं। 

21 . पिरमिंट सिरदर्द के लिए बहुत फायदेमंद है , इसलिए अगर आपको सिरदर्द की शिकायत है , तो आप इसे चाय में मिलाकर पी सकते है। इससे आपको तुरंत आराम मिलेगा। 

22 . सिर के जिस हिस्से में दर्द हो , उसके दूसरे हिस्से की तरफ नाक के छिद्र में एक बूंद शहद डालने से सिर का दर्द तुरंत दूर हो जाता है। 

23 . बादाम के तेल में केसर मिलाकर दिन में 3 - 4 बार सूंघने से सिरदर्द में आराम मिलता है। 

24 . सिरदर्द के लिए नौशादर और खाने वाला चूना बराबर मात्रा में मिलाकर एक शीशी में भरकर उसे अच्छी तरह मिला लें।  सिरदर्द होने पर इसे सूंघे। 

25 . सरसों के तेल को कटोरी में डालकर 1 से 2 मिनिट तक दिन में तीन - चार बार सूंघे। 

26 . एक मुनक्के का बीज निकालकर उसमें एक साबुत राई रख दें।  2 - 3 दिन लगातार सूर्योदय से पहले कुल्ला करके पानी से मुनक्का निगल लें। सिरदर्द में तुरंत लाभ मिलेगा। 

27 . चाय बनाकर उसमें थोड़ी से अदरक के साथ लौंग और इलायची भी मिला दें , इससे आपका सिरदर्द तुरंत गायब हो जायेगा। 

                                                  


नोट  :- इस लेख में बताये गए नुस्खे आपकी जानकारी के लिए है। कोई भी उपाय करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें। पहले से ली जा रही कोई भी दवा बंद न करें। असुविधा होने पर इस साइट की कोई भी जिम्मेदारी नहीं होगी। 

























लू लगने ( Sun Stroke ) का उपचार

लू लगने को अंग्रेजी भाषा में  Sun Stroke  भी कहते हैं। गर्मी की सबसे बड़ी समस्या होती है लू लगना।  गर्मी में उच्च तापमान में जयादा देर तक रहने से या गर्म हवा के संपर्क में आने पर लू लगने का डर अधिक होता है। इससे पीड़ित व्यक्ति कि  मौत भी हो सकती है। 

गर्मी हमेशा अपने साथ तीखी धूप तथा अन्य कई तरह की परेशानियां है जिसमें से एक कारण लू लग जाना भी है।  लू के कारण न तो हम बाहर जा सकते है और न ही हम घर में चैन से रह पाते हैं। इनसे बचने के हम चाहे जितने भी उपाय कर लें , ये गर्म हवाएं हमारा पीछा नहीं छोड़ती।  यहाँ तक की घर में भी लू लगने का खतरा बना रहता है। 

                                                

लू लगने के कारण 

1   . गर्मी की वजह से शरीर में पानी और नमक की जयादा कमी होने पर लू लगने के आशंका होती हैं। 

2   . तेज धूप में रहने वालों , बिना सिर को ढके धूप में घूमने वालों, टीन से बने घरों में रहने वालों , तेज आग के सामने काम करने वालों , खेतों में काम करने वालों , खुली धूप में आने - जाने व काम करने वालों को अक्सर लू लग जाती हैं। 

3   . शारीरिक रूप से कमजोरों , बच्चों बुजुर्गों जयादा एक्सरसाइज करने वालों और कम पानी पीने वाले लोगों को अक्सर लू लग जाती हैं। 

4   . भूखे पेट , प्यासे रहना एकदम गर्मी से आकर ठंडा पानी पीना , धूप में से आकर ठंडे कमरे में जाना और ठंडे कमरे से धूप में जाना। 

5   . त्वचा सम्बन्धी रोग से पीड़ित व्यक्ति तथा मधुमेह रोग से पीड़ित व्यक्ति को भी लू लगने के संभावना जयादा होती हैं। 

6   . जब शरीर का थर्मोस्टेट सिस्टम यानी शरीर का तापमान कंट्रोल करने वाला सिस्टम शरीर को ठंडा रखने में नाकाम  तो शरीर में गर्मी भर जाती है और पानी किसी न किसी रूप में शरीर से बाहर निकल जाता है।  इससे शरीर की ठंडक कम  हो जाती है और लू लग जाती हैं। 

7   . अधिक शराब या चाय कॉफी पीने पर किसी भी उम्र में लू लग सकती हैं। 

8   . गर्मी के मौसम में सिंथेटिक या टाइट कपड़े पहनने से हवा नहीं लग पाती , और शरीर के अंदर की गर्मी बाहर  नहीं निकल पाती ऐसे में हीट स्ट्रोक या लू का असर हो सकता हैं। 

लू लगने के लक्षण 

1  . नाड़ी की गति अधिक बढ़ जाने के फलस्वरूप रोगी के शरीर का तापमान 101 - 105 तक हो जाना। 

2   . चेहरा लाल , सिर दर्द , जी मिचलाना और उल्टियाँ होना। 

3   . दस्त , सिरदर्द , शरीर टूटना , बार - बार मुँह सुखना और हाथ - पैरों में कमजोरी आना। 

4   . शरीर का तापमान बढ़ने के कारण कई बार चक्कर आना और बेहोश होना भी संभव हैं। 

5   . बुखार आना। 

6   . अत्यधिक पसीना आना। 

7   . अधिक प्यास लगना। 

8   . चक्कर आना और थकान होना। 

9   . सर दर्द होना। 

10 . त्वचा , लाल , गर्म और सूखी हो जाना। 

11 . मांसपेशिओं में ऐंठन होना। 

12 . जी घबराना , या उलटी होना। 

13 . दिल की धड़कन बढ़  जाना। 

14 . सांस लेने में परेशानी होना। 

15 . व्यवहार में परिवर्तन होना जैसे भ्रम आदि होना। 

                                                 

लू लगने पर प्राथमिक उपचार 


1   . लू लगने पर सबसे पहले उस व्यक्ति को छांव में लाकर हवा का इंतजाम करें।


2   . उसको नमक शक्कर और पानी का घोल पिलायें , उसके कपड़े निकालकर  अंदरूनी वस्त्र रखें। 

3     . गीली चादर लपेटकर तापमान कम करने का प्रयास करें। 

4   . हाथ - पैर की मालिश करें जिससे रक्त संचरण प्रभावित होता हैं। 

5   .अगर संभव हो तो बर्फ के टुकड़े कपड़े में लपेटकर गर्दन , बगलों और जांघों पर रखे।  इससे गर्मी जल्दी निकलती हैं। 

6   . बाहर धूप में निकलें तो छतरी का इस्तेमाल करें।  नंगे बदन और नंगे पैर धूप  में न खड़े हों। 

7   . आम पना , छाछ , लस्सी , नारियल पानी , बेल या नींबू ला शर्बत जैसे तरल पदार्थ पीते रहें। 

8   . ढीले और सूती कपड़े पहनें। 

9   . बाहर खाली पेट न जाएं  और थोड़ी - थोड़ी देर पर पानी पीते रहें। 

10 . गर्मी से एकदम ठंडे कमरे में न जाएं। 

11 . दिन में दो बार नहाएं। 

12 . जयादा से जयादा हरी सब्जियों का प्रयोग करें। 

13 . खीरा, ककड़ी , लौकी , तुरई जरूर खाएं। 

14 . ठंडे कमरे में रहें। 

15 . इमली के गूदे को हाथ पैरों पर मलें। 

16 .  तापमान तेज होने पर सर पर ठंडी पट्टी रखें। 

17 . घर से बाहर निकलते समय जेब में कटा प्याज रखें। 

लू लगने पर घरेलू उपचार 

1   . कच्चे प्याज के रस को कान के नीचे और छाती पर लगाने से शरीर का तापक्रम कम होता है। कच्चे प्याज के जूस में जीरा पाउडर और शहद के बूंद डालकर पीना भी काफी फायदेमंद होता हैं। 

2   . लू  से बचने के लिए आप  प्याज  के एक टुकड़े जेब में लेकर बाहर निकलें। 

3   . कच्चे आम का पना  भी काफी असरदार होता है।  यह शरीर  तापमान  को भी कम करता है। 

4   . इमली को मथकर पानी में घोलकर गुड़ के साथ पिएं।  लू में यह काफी असरदार हैं। 

5   . नींबू में विटामिन सी  और इलेक्ट्रोलाइट्स पाए जाते हैं।  जो हमें हीट स्ट्रोक्स से बचाते हैं। 

6   . नारियल पानी भी गर्मी के लिए एक हेल्दी पेय है।  यह शरीर के तापमान को भी कम करता हैं। 

7   . अगर दोपहर में धूप  में  बाहर निकलना हो तो दही की लस्सी या छाछ पीकर निकलें।  ऐसा करने से धूप का असर कम होगा, और लू का असर भी कम होगा। 

8   . चन्दन के पाउडर को पानी  घोलकर पेस्ट बनाकर सिर और पूरे बदन में लगाएं , काफी शीतलता मिलेगी , और शरीर का तापमान कम होगा। 

9   . धनिया पत्ता और पिपरमिंट पत्ते का जूस निकालकर इसमें थोड़ा चीनी मिलाकर पी लें।  हीट स्ट्रोक के लिए यह एक असरदार घरेलू इलाज है। इससे शरीर को शीतलता मिलेगी , और शरीर का तापमान भी कम होगा। 

10 . लू लगने पर एलोवेरा का जूस पीने से शरीर में न सिर्फ ठंडक पहुँचती है , बल्कि यह रोग से लड़ने की ताकत भी देता हैं। 

11 . अगर किसी को लू लग जाती है तो उसके हाथ पैरों के तलवों में प्याज पीसकर उसका जूस लगाने से भी लू उतर जाते हैं। 

12 . तेज धूप  से वापस आते ही ठंडा पानी नहीं पीना चाहिए। 

13 . गर्मी के दिनों में बार - बार पानी पीते रहना चाहिए।  क्योंकि शरीर में पानी की कमी नहीं होना चाहिए। 

14 . मेथी की सूखी पत्तियों को ठंडे पानी में कुछ समय भिगोकर रखें , बाद में उसे  मसलकर छान लें , इस पानी में थोड़ा सा शहद मिलाकर दो - दो घंटे पर रोगी को पिलाएं , इससे लू ले तुरंत छुटकारा मिलता हैं। 

15 . प्याज का रस हथेलियों और पैर के तलवों पर लगाएं। 

16 . भुना हुआ प्याज और आम पीसकर लेप करना लाभदायक होता हैं। 

17 .धूप में निकलने से पहले नाख़ून पर प्याज घिसकर लगाने से लू नहीं लगती। 

18 . लू लगने और जयादा गर्मी में शरीर पर घमौरियां हो जाती है।  बेसन को पानी में घोलकर घमौरियों पर लगाने से फायदा होता हैं। 

                                            

नोट  :- इस लेख में बताये गए नुस्खे आपकी जानकारी के लिए है। कोई भी उपाय करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें। पहले से ली जा रही कोई भी दवा बंद न करें। असुविधा होने पर इस साइट की कोई भी जिम्मेदारी नहीं होगी। 































भूख बढ़ाने के रामबाण उपाय

आज की इस भागदौड़ और व्यस्त जीवन के कारण मनुष्य अपने खानपान और स्वास्थ का बिल्कुल भी ध्यान नहीं रख पाता  है , जिसकी वजह से उसके जीवन में अनेक रोग बिन बुलाए आने लगते हैं। साथ ही शरीर के सारे तंत्र अनियमित हो जाते है।  इसी तरह की एक समस्या है अरुचि। अरुचि से अभिप्राय भूख के न लगने से है , ये समस्या दिन - प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।  भूख न लगने के कारण  आपके शरीर को जरूरी पोषक तत्व नहीं मिल पाते और इससे कई बीमारियां हमारे शरीर में घर कर जाते हैं। इस रोग को मंदाग्नि के नाम से भी जाना जाता हैं। 

हमारे शरीर अग्नि खाये गए भोजन को पचाने का काम करती है , यदि यह किसी कारण  पड़ जाए तो भोजन ठीक तरह से नहीं पचता है। भोजन के ठीक से नहीं पचने के कारण शरीर में कितने ही रोग पैदा हो जाते है। अनियमित खानपान से वायु पित्त और कफ दूषित हो जाते है , जिसकी वजह से भूख लगनी बंद हो जाती है , और अजीर्ण , अपच वायु विकार तथा पित्त आदि की शिकायतें आने लगती हैं , भूख लगनी बंद हो जाती है शरीर टूटने लगता है , स्वाद बिगड़ जाता है , पेट में भारीपन महसूस होने लगता है , पेट ख़राब होने से दिमाग ख़राब रहना चालू हो जाता है ,अथवा समझ लीजिये की शरीर का पूरा तंत्र ही  ख़राब हो जाता है। 

                                            

                                               
भूख न लगने के कारण 

1  . अधिक तला हुआ वसायुक्त खाना फ़ास्ट फ़ूड , पिज्जा इत्यादि आपकी भूख मार देती है। 

2  . मीठे का बहुत अधिक सेवन करने से भी आपकी भूख धीरे - धीरे कम होने लगती है। 

3  . गर्म तासीर वाले पेय जैसे कि  चाय , कॉफ़ी भी भूख को दबाने का कार्य करती है। 

4 .देर तक जागना न सिर्फ अनिद्रा को बुलाता है।  बल्कि अरुचि को बुलाकर आपके शरीर को भी कमजोर बना देता है। 

5  . आलस भी भूख न लगने का एक बहुत बड़ा कारण हैं। 

6  . अधिक चिंता , क्रोध , भय और घबराहट के कारण भी यकृत  खराबी के कारण भी भूख नहीं लगती। 

7  . कब्ज जैसी किसी बीमारी से पीड़ित होना। 

8  . पेट की कोई बीमारी जैसे गैस आदि का होना। 

9  . चिंता , तनाव के कारण भी भूख  नहीं लगती। 

10. धूम्रपान भी इस समस्या का एक कारण हो सकता हैं। 

भूख बढ़ाने के रामबाण उपाय 

1  . काला नमक चाटने से गैस ख़त्म होती है , और भूख बढ़ती है। 

2  . भूख न लगने पर आधा माशा फूला हुआ सुहागा एक कप गुनगुने पानी में दो तीन बार लेने से भूख खुल जाती हैं। 

3  . हरड़ का चूर्ण सौंठ और गुड़ के साथ अथवा सेंधा नमक के साथ सेवन करने से भूख  बढ़ती हैं।  

4  . हरड़ गुड़ और सौंठ का चूर्ण बनाकर उसे थोड़ा थोड़ा मट्ठे के साथ रोजाना सेवन करने से भूख खुल जाती हैं। 

5  . छाछ के रोजाना लेने से भी मंदाग्नि ख़त्म हो जाती हैं। 

6  . सौंठ का चूर्ण घी में मिलाकर चाटने से और गरम जल खूब पीने से भी खूब भूख लगती हैं। 

7  . भोजन करने से पहले छिली हुई अदरक को सेंधा नमक लगाकर खाने से भूख बढ़ती हैं। 

8  . गेहूं के चोकर में सेंधा नमक और अजवायन मिलाकर रोटी बनवायी जाए , इससे भूख बहुत लगती हैं। 

9   . मोठ की दाल मंदाग्नि और बुखार की नाशक हैं। 

10 . पके हुए टमाटर के फांके चूसते रहने से भूख खुल जाती हैं। 

11 . दो छुहारों का गुदा निकालकर 300 ग्राम दूध में पका लें , छुहारों का सत निकलने पर दूध को पी लें इससे खाना भी पचता है और भूख भी लगती हैं। 

12 . सौंठ , अजवायन , जीरा , छोटी पीपल और काली मिर्च समान मात्रा में लेकर उसमें थोड़ी से हींग मिला लें , फिर इन सबको खूब बारीक पीस बाना लें।   का एक चम्मच भाग छाछ में मिलाकर रोजाना पीना चालू कर दें , दो सप्ताह तक लेने से कैसी भी कब्जियत में फायदा होगा। 

13 . भोजन करने के आधा घंटा पहले चुकंदर , गाजर , टमाटर , पत्ता गोभी पालक तथा अन्य हरी साग सब्जियों का रस पीने से भी भूख बढ़ती हैं। 

14 . सेब का सेवन करने से भी भूख भी बढ़ती है और खून भी साफ़ होता हैं। 

15 . चालीस ग्राम अजवायन , सेंधा नमक दस ग्राम दोनों को पीसकर एक साफ़ बोतल में रख लें।  इसमें से दो ग्राम चूर्ण रोजाना सबेरे फांककर ऊपर से पानी पी लें , इससे भूख भी बढ़ेगी और वात वाली बीमारियां  भी समाप्त होगी। 

16 . एक पाव सौंफ पानी में भिगो दें , फिर इस पानी में चौगनी मिश्री मिलाकर पका लें , इस शरबत को चाटने से भी भूख बढ़ती हैं। 

17 . जायफल का एक ग्राम चूर्ण शहद के साथ चाटने से जठराग्नि प्रबल होकर मंदाग्नि दूर होती हैं 

18 . सौंफ , सौंठ और मिश्री सभी को सामान मात्रा में लेकर ताजे पानी से रोजाना लेना चाहिये।  इससे पाचन शक्ति प्रबल होती हैं। 

19 . लीची को भोजन से पहले लेने से पाचन सकती और भूख में बढ़ोत्तरी होती हैं। 

20 . अनार के सेवन से भी भूख बढ़ती हैं। 

21 . नींबू का रस रोजाना पानी में मिलाकर पीने से भी भूख बढ़ती हैं। 

22 . अनानास का आधा गिलास रस भोजन से पहले पीने से भी भूख बढ़ती हैं। 

23 . तरबूज के बीज की गिरी खाने से भी भूख बढ़ती हैं। 

24 . इमली की पत्ती की चटनी बनाकर खाने से भूख भी बढ़ती है , और खाना भी हजम होता हैं। 

25 . हरड़ को निबोलियों के साथ लेने से भूख बढ़ती है , और चर्म रोगों का भी नाश होता हैं। 

26 . बेल का फल या जूस भी भूख बढ़ाने में सहायता करता हैं। 

                                            

नोट  :- इस लेख में बताये गए नुस्खे आपकी जानकारी के लिए है। कोई भी उपाय करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें। पहले से ली जा रही कोई भी दवा बंद न करें। असुविधा होने पर इस साइट की कोई भी जिम्मेदारी नहीं होगी। 

















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अस्थमा ( दमा ) के घरेलू उपचार

श्वसन की नलिका में किसी संक्रमण और रोग के कारण खांसी आना और सांस लेने में तकलीफ होना अस्थमा रोग ( दमा ) रोग कहलाता हैं। आपने किसी न किसी को सांस लेने में मुश्किल होने पर इन्हेलर पंप का इस्तेमाल करते हुए देखा होगा।  यह किसी भी उम्र में किसी को भी हो सकती हैं। इस बीमारी में श्वसन नलिका में अंदर की तरफ सूजन आ जाती है।  इस सूजन के कारण सांस की नली काफी संवेदनशील हो जाती है।  जिससे फेफड़ों में हवा कम पहुँचती हैं। 

                                          


अस्थमा रोग के कारण 

1  . ब्लड में संक्रमण होना। 

2  . पालतू  जानवरों से एलर्जी होना। 

3  . मिलावटी खान - पान और गलत आदतें। 

4  . तनाव , क्रोध या डर। 

5  . मद्यपान या  मादक पदार्थों का सेवन। 

6  . खांसी , जुकाम और नजला। 

7  . मिर्च मसालेदार चीजें खाना। 

8  . फेफड़ें और आंतों की कमजोरी। 

9  . सांस की नली  में धूल जाना या ठंड  लगना। 

10 . मोटापा। 

11 . आनुवंशिकता। 

12 . प्रदूषण। 

13 . दवाइयों के प्रयोग से कफ सूख जाना। 

14 . महिलाओं के हार्मोन्स में बदलाव। 

15 . ठंडी हवाओं या मौसमी बदलाव। 

16 . मोटापे से भी अस्थमा हो सकता हैं। 

                                               

अस्थमा रोग के लक्षण 

1  . बीमारी के चलते सूखी खांसी आना। 

2  . सांस लेने में परेशानी होना। 

3  . सख्त और बदबूदार कफ। 

4  . सांस लेते समय जोर लगाने पर चेहरा लाल होना। 

5  . छाती में जकड़न महसूस होना। 

6  . जोर - जोर से सांस लेने के बाद थक जाना। 

7  . लगातार छींके आना। 

8  . सांस फूलना। 

                                           

अस्थमा के घरेलू  उपचार 

1  .  एक कटोरी में दो छोटे चम्मच आंवले का पावडर लें , और उसमे एक छोटा चम्मच शहद डालकर अच्छी तरह से मिला लें।  हर रोज सुबह इस मिश्रण का सेवन करें। 

2  . एक कटोरी में शहद लेकर सूंघने से दमा के रोगी को सांस लेने में आसानी होती हैं। 

3  . सरसों के तेल में कपूर डालकर अच्छी तरह से गर्म करें।  उसको एक कटोरी में डालें।   मिश्रण थोड़ा सा ठंडा हो जाने के बाद सीने और पीठ में मालिश करें।  दिन में कई बार इस तेल से मालिश करने पर दमा  हद तक आराम मिलता हैं। 

4  . दस - पंद्रह लहसुन की फांक दूध में डालकर कुछ देर तक उबालें। उसके बाद एक गिलास में डालकर गुनगुना पीने की कोशिश करें।  इस दूध का सेवन दिन में एक बार करना चाहिए। 

5  . गरम  कॉफी  पीने से भी दमा के रोगी को आराम मिलता है।  क्यूंकि यह श्वसन मार्ग को साफ़ करके सांस लेने की प्रक्रिया को आसान करता हैं।

6  .  एक कटोरी में एक छोटा चम्मच अदरक का रस , अनार का रस  और शहद डालकर अच्छी तरह से मिला लें।  उसके बाद एक बड़ा चम्मच इस मिश्रण का सेवन दिन में चार से पांच बार करने से दमा में राहत मिलती हैं। 

7  .  इनहेलर को हमेशा अपने पास रखें। 

8  . अदरक की गरम चाय में लहसुन की दो पीसी कलियाँ मिलाकर पीने से भी अस्थमा नियंत्रित रहता हैं।  सुबह - शाम इस चाय का सेवन करने से अस्थमा में फायदा होता हैं। 

9  . पानी में अजवाइन मिलाकर इसे उबाल लें , और पानी से उठती हुई भांप लें , यह घरेलू  उपाय काफी फायदेमंद होता हैं। 

10 . 4 - 5 लौंग लें और 125 मिली  पानी में 5 मिनिट तक उबालें।  मिश्रण को छानकर इसमें एक चम्मच शुद्ध शहद मिलाएं।  और गरम - गरम पी लें। हर रोज दो से तीन बार यह काढ़ा बनाकर पीने से मरीज को निश्चित रूप से लाभ होता हैं। 

11 . 180 मिमी पानी में मुट्ठी भर सहजन की पत्तियां मिलाकर करीब 5 मिनिट तक उबालें।  मिश्रण को ठंडा होने दें , उसमें चुटकी भर नमक , कालीमिर्च और नींबू रस भी मिलाया जा सकता हैं।  इस सूप का नियमित रूप से इस्तेमाल दमा रोग में कारगर माना गया हैं। 

12 .  एक लीटर पानी में दो बड़े चम्मच मेथी के दाने डालकर आधा घंटे तक उबालें , उसके बाद इसको छान लें।  दो बड़े चम्मच अदरक का पेस्ट एक छलनी में डालकर उसका रस निकालकर मेथी के पानी में डालें। उसके बाद एक चम्मच शुद्ध शहद इस मिश्रण में डालकर अच्छी तरह से मिला लें।  दमा के रोगी को यह मिश्रण प्रतिदिन सुबह पीना चाहिए। 

13 . जब भी दूध पिए  देसी गाय का ही पिए।  और इसमें आम्बी हल्दी एक चुटकी डालकर पिएं। 

14 . तुलसी के 15 - 20 पत्तें पानी से साफ़ कर लें , फिर उन पर काली मिर्च 
का पावडर बुरककर खाने से दमा में राहत मिलती हैं। 

15 . एक केला छिलके सहित हल्की आंच पर भून लें।  छिलका उतारने के बाद 10 नग काली मिर्च का पावडर उस पर बुरककर खाने से श्वास की कठिनाई तुरंत दूर होती हैं। 

16 . दमा के दौरे को नियंत्रित करने के लिए हल्दी एक चम्मच।  दो चम्मच शहद में मिलाकर चाट लें। 

17 . तुलसी के पत्ते पानी के साथ पीस लें , इसमें दो चम्मच शहद मिलाकर सेवन करने से दमा रोग में लाभ मिलता हैं। 

18 . पहाड़ी नमक सरसों के तेल में मिलाकर छाती पर मालिश करने से फ़ौरन लाभ मिलता हैं। 

19 . सूखे अंजीर 4 नग रात भर पानी में गलाएं , सुबह खाली पेट खाएं।  इससे श्वास नली में जमा बलगम ढीला होकर बाहर निकलता हैं। 

20 . दमा के रोगी को सिंथेटिक बिस्तर पर नहीं लेटना चाहिए। 

21 . दमा के रोगी को हर रोज सुबह के वक्त 3 - 4 छुहारे अच्छी तरह बारीक चबाकर खाना चाहिए।  इससे फेफड़ों को शक्ति मिलती हैं और सर्दी जुकाम का प्रकोप कम हो जाता हैं। 

22 . सौंठ का काढ़ा बनाकर पीना चाहिए। 

23 . 10 ग्राम गुड़ कूट लें। इसे 10 ग्राम सरसों के तेल में मसलकर , मिलाकर सुबह के वक्त खाएं।  45 दिन के प्रयोग से काफी फायदा नजर आएगा। 

24 . पीपल के सूखे फल का बारीक चूर्ण बना लें।  सुबह - शाम एक चम्मच लेते रहे लाभ होगा। 

                                                    


                                        
नोट  :- इस लेख में बताये गए नुस्खे आपकी जानकारी के लिए है। कोई भी उपाय करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें। पहले से ली जा रही कोई भी दवा बंद न करें। असुविधा होने पर इस साइट की कोई भी जिम्मेदारी नहीं होगी। 












दिल की धड़कन का इलाज

वास्तव में दिल की धड़कन कोई रोग नहीं है।  किन्तु जब दिल तेजी से धड़कने लगता है मनुष्य के शरीर में कमजोरी आ जाती है , माथे पर हल्का पसीना उभर आता है तथा पैर लड़खड़ाने लगते हैं। 

थोड़ा सा भी परिश्रम करने पर , तेज चलने पर उठने - बैठने पर या इसी प्रकार के अन्य कार्य करने पर दिल की धड़कन असामान्य हो जाती है। दिल की धड़कन असामान्य होना दिल की कमजोरी का प्रतीक होता है। इससे रक्तसंचार भी बढ़  जाता है और घबराहट सी होने लगती हैं। 

                                                  


दिल की धड़कन बढ़ने के कारण 

1  . मानसिक उत्तेजना। 

2  . स्नायु में किसी प्रकार की बीमारी। 

3  . उत्तेजित पदार्थों को खाना। 

4  . डर। 

5  . बहोत ज्यादा परिश्रम करना। 

6  . शोक। 

7  .अधिक मात्रा में चाय , कॉफी , शराब आदि के सेवन से भी दिल की धड़कन तेज हो जाती है। 

8  . शारीरिक कमजोरी। 

9  . भावनात्मक एहसास के कारण भी दिल की धड़कन बढ़ने की संभावना अधिक होती हैं। 

10 . कुछ लोगों में अधिक खाने के कारण भी दिल की धड़कन असामान्य हो जाती हैं। 

11 .  हाई या लो बीपी। 

12 . खून की कमी। 

13 . एक्सरसाइज। 

14 . विशेष ह्रदय रोग। 

दिल की धड़कन तेज होने के लक्षण 

1  . इस रोग में कलेजा जोर - जोर से धड़कने लगता हैं। 

2  . शरीर में कमजोरी आ जाती हैं। 

3  . कुछ लोगों को बैचनी भी महसूस होती हैं। 

4  . शरीर में शुष्कता कंठ में खुश्की , प्यास , तन्द्रा , अजीर्ण , भूख  न लगना , दिल का जैसे बैठ जाना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। 

5  . हाथ - पैर ठंडे होने लगते हैं। 

6  . सांस लेने में कठिनाई होती हैं। 

7  . चक्कर आना। 


                                       



दिल की धड़कन बढ़ने का घरेलू  इलाज 

1 .गाय के दूध में किशमिश तथा बादाम डालकर औटाएं। फिर शक्कर डालकर घूंट - घूँटकर पी लें।

2  . पिस्ते की लौज खाने से ह्रदय की धड़कन ठीक हो जाती हैं। 

3  .दो चम्मच प्याज के रस में सेंधा नमक मिलाकर सुबह - शाम सेवन करें।

4  . भोजन के बाद चार चम्मच अंगूर का रस पिएं। 

5  . गुलाब की पंखड़ियों को सुखाकर पीस लें। फिर इसमें धनिया का चूर्ण समभाग में मिलाएं।  एक चम्मच चूर्ण खाकर ऊपर से आधा लीटर दूध पिएं। 

6  . अनार के कोमल कलियों की चटनी बनाकर एक चम्मच मात्रा में सुबह के समय निहार मुँह खाएं।  लगभग एक सप्ताह सेवन करने से दिल की धड़कन सही रास्ते पर आ जाती हैं। 

7  . 200 ग्राम सेब को छिलके सहित छोटे - छोटे टुकड़े करके आधा लीटर पानी में डाल दें।  फिर इस पानी को आंच पर रखें।  जब पानी जलकर एक कप रह जाए तो मिश्री डालकर सेवन करें।  यह दिल को मजबूत करती हैं। 

8  . आंवले के चूर्ण में मिश्री मिलाकर एक चम्मच की मात्रा में भोजन के बाद खाएं।  यह दिल की धड़कन सामान्य करता हैं। 


9   .पके पपीते का रस एक कप की मात्रा में भोजन के बाद सेवन करें। 

10 .  आधा कप गाजर का रस गरम करके दोपहर के समय प्रतिदिन पियें। 
11 . सेब का मुरब्बा चांदी का वर्क लगाकर खाएं। 

12 . दिल धड़कने पर जरा सा कपूर जीभ पर रखकर चूसें। 

13 . आधे  सेब के रस में चार कालीमिर्च का चूर्ण तथा एक चुटकी सेंधा नमक मिलाकर पिएं। 

14 . बड़ी इलायची के दानों को पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से चौथाई चम्मच चूर्ण शहद मिलाकर खाएं। 

15 . टमाटर के रस में पीपल के पेड़ के तने की छाल का चूर्ण 4 ग्राम मिलाकर सेवन करें।  टमाटर के रस की मात्रा आधी कप होनी चाहिए। 

16 . पानी में आधा नींबू निचोड़े तथा उसमें दो चुटकी खाने  वाला सोडा डालें।  नींबू पानी को पीने से दिल की धड़कन सामान्य  हो जाती हैं। 

17 . आधा चम्मच अजवायन तथा एक चुटकी सेंधा नमक दोनों को पीसकर गुनगुने पानी के साथ खाएं।  यह नुस्खा दिल की धड़कन को सामान्य बना देता हैं। 

18 . राई पीसकर छाती पर मलने से भी दिल को काफी आराम मिलता हैं। 

19 . मुलैठी का चूर्ण 4 ग्राम सुबह - शाम घी या शहद के साथ सेवन करने से ह्रदय के समस्त रोगों में लाभ होता हैं। 

20 . अनार के ताजे पत्तों को 10 - 50 ग्राम की मात्रा में पीसकर 100 मिलीलीटर पानी में मिलाकर , उस पानी को छानकर प्रतिदिन सुबह - शाम पीने से दिल की धड़कन सामान्य हो जाती हैं। 

21 . लहसुन की तीन कलियों का रस एक गिलास पानी में डालकर रोगी को देने से दिल की बड़ी हुई धड़कन में लाभ होगा। 

22 . छोटी इलायची का चूर्ण 1 से 2 ग्राम पिप्पलीमूल के साथ घी मिलाकर सुबह - शाम सेवन करने से लाभ होता हैं। 

23 . बेल की जड़ का काढ़ा  सुबह - शाम सेवन करने से ह्रदय की धड़कन नियंत्रित हो जाती हैं। 

24 . सफ़ेद गुलाब की पंखड़ियों का रस 10 से 20 मिलीलीटर सुबह - शाम सेवन करने से ह्रदय की धड़कन में लाभ होता हैं। 

25 . फालसा के फलों का शरबत बनाकर सुबह - शाम सेवन करने से लाभ होता हैं। 

26 . शहतूत का शरबत बनाकर पीने से ह्रदय की बड़ी हुई धड़कन सामान्य हो जाती हैं। 

27 . बरगद के कोमल हरे पत्तों को 10 ग्राम की मात्रा में पीसकर 150 ग्राम पानी में मिलाकर , छानकर थोड़ी से मिश्री मिलाकर सुबह - शाम सेवन करने से तेज धड़कन सामान्य होती हैं। 

28 . आंवले का मुरब्बा या शरबत दिल की धड़कन को सामान्य बनाता हैं। 

29 . यदि दिल की धड़कन तेज मालुम पड़े और घबराहट बढ़ जाए तो सूखा धनिया एक चम्मच और मिश्री एक चम्मच दोनों को मिलाकर पीने से धड़कन सामान्य हो जाएगी। 

30 . एक गिलास गर्म दूध में स्वादानुसार मिश्री या शहद दस भीगी हुई किशमिश उसी भिगोये हुए पानी में पीसकर मिला दें।  इस रोज 40 दिन तक पिए ह्रदय की धड़कन कम होगी , शरीर में शक्ति आएगी। 

                                                    


नोट  :- इस लेख में बताये गए नुस्खे आपकी जानकारी के लिए है। कोई भी उपाय करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें। पहले से ली जा रही कोई भी दवा बंद न करें। असुविधा होने पर इस साइट की कोई भी जिम्मेदारी नहीं होगी।