बवासीर बेहद दुखदायी रोग है जिसकी वजह से रोगी बेहद परेशान रहता है। बवासीर को पाइल्स भी कहा जाता है। यह दो प्रकार की होती है।
बहार की बवासीर
बहारी बवासीर में गुदा वाली जगह में मस्सा होता है और इसमें दर्द नहीं होता है। लेकिन खुजली ज्यादा होती है। जिस वजह से गुदा से खून आने लगता है और इंसान बेवजह परेशान हो जाता है।
अंदर की बवासीर
अंदर की बवासीर में मस्से गुदे के अंदर होता है। और कब्ज की वजह से मलकरते समय जोर लगाने से खून बाहर आ जाता है और रोगी बेहद तेज दर्द से तड़प जाता है। और यदि मस्से छिल जाए तो दर्द बढ़ जाता है।
बवासीर के कारण
बवासीर होने का प्रमुख कारण है लम्बे समय तक कठोर कब्ज बना रहना। सुबह-शाम शौच न जाने या शौच जाने पर ठीक से पेट साफ न होने और काफी देर तक शौचालय में बैठने के बाद मल निकलने या जोर लगाने पर मल निकलने या जुलाब लेने पर मल की स्थिति को कब्ज होना कहते हैं।
कुछ व्यक्तियों में यह रोग पीढ़ी दर पीढ़ी पाया जाता है । अतः इस रोग का एक कारण हो सकता है । जिन व्यक्तियों को अपने रोजगार की वजह से घंटों ख़ड़े रहना पड़ता हो , जैसे बस कंडक्टर , ट्रैफिक पुलिस , पोस्टमैन या जिन्हें भारी वजन उठाने पड़ते हों , जैसे कुली , मजदूर , आदि , कब्ज भी बवासीर को जन्म देती है, कब्ज की वजह से मल सूखा और कठोर हो जाता है जिसकी वजह से उसका निकास आसानी से नहीं हो पाता मलत्याग के वक्त रोगी को काफी वक्त तक पखाने में उकड़ू बैठे रहना पड़ता है , जिससे रक्त वाहिनियों पर जोर पड़ता है और वह फूलकर लटक जाती है । बवासीर गुड के कैंसर की वजह से या मूत्र मार्ग में रुकावट की वजह गर्भावस्था में भी हो सकता है ।
बवासीर के लक्षण
1 . मलत्याग के साथ रक्तस्त्राव होता है । यह बूंदों या धार निकलता है । और इसमें दर्द नहीं होता है ।
2 . पीड़ित व्यक्ति मल त्याग करने के लिए जोर लगाता है । तो मल के साथ मस्से भी गुदाभाग से बाहर आता है । कभी यह अपने आप अंदर चले जाते है तो कुछ रोगियों में इसे हाथ डालना पड़ता है ।
3 . कुछ रोगियों में मल के साथ में कफ श्लेष्म स्त्राव बाहर निकलता है ।
4 . गुदाभाग में खुजली होना ।
5 . मलद्वार के आसपास होना ।
6 . उठते बैठते व चलते समय गुड द्वार में दर्द होना ।
7 . मलत्याग के समय कष्ट का आभास होना ।
8 . मलद्वार के आसपास पीड़ायुक्त सूजन होना ।
9 . मलत्याग के बाद पूर्ण रूप से संतुष्टि महसूस न होना ।
10 . लंबे समय तक कब्ज रहना ।
बवासीर का घरेलू उपचार
हम आपको यहाँ पर कुछ घरेलु नुस्खों के बारे में बताते है जिससे बवासीर और उससे होने वाले दर्द में राहत मिल सकती है ।
1 . नारियल के जटा को माचिस से जल दीजिये फिर उस भस्म से बिना जले हुए रेशो को अलग निकालकर साफ़ भस्म को किसी शीशी में रख लें । फिर इसमें से 3 ग्राम भस्म एक गिलास छाछ या एक कटोरी दही के साथ सुबह खाली पेट सेवन करें और उसके लगभग 2 घंटे तक कुछ भी न खाएं । फिर इसे दोपहर में खाना खाने के 2 घंटे बाद और रात को बहुत हल्का खाने के 2 घंटे बाद अर्थात केवल एक ही दिन , दिन में तीन बार लेना है और लेने के बाद फिर 2 घंटे तक कुछ भी न लें । इस बात का ख्याल रखें कि दही या छाछ ताज़ी हो , दही कई दिन पुरानी या खट्टी न हो । इस प्रयोग से पुरानी से पुरानी बवासीर की बीमारी भी ठीक हो जाती है ।
यह ध्यान दें कि उस दिन बहुत हल्का और बिना नमक का ही भोजन करें । और इसको जल्दी ही पुनः ना दोहराये ।
2 . एक पके केले को बीच में से चीरकर उसके दो टुकड़े कर लें फिर उन टुकड़ों के बीच गेहूं के दाने के बराबर कपूर डालकर उसके बाद उस केले को खुले आसमान के नीचे शाम को रख दें , सुबह उस केले को शौच के बाद खा लें। एक हफ्ते तक लगातार इस उपाय को करने के बाद भयंकर से भयंकर बवासीर भी समाप्त हो जाती है ।
3 . खूनी बवासीर में एक नींबू को बीच में से काटकर उसमे लगभग 4 - 5 ग्राम कत्था पीसकर डाल दीजिये । इन दोनों टुकड़ो को रात में छत पर खुला रख दीजिए । सुबह उठकर नित्य क्रिया से निव्रत होने के बाद दोनों टुकड़ों को चूस लीजिए । पांच दिन तक इस प्रयोग को कीजिये । बहुत फायदा होगा ।
4 . करीब 2 लीटर मट्ठा लेकर उसमें 50 ग्राम पिसा हुआ जीरा और थोड़ा सा सेंधा नमक जरूर मिला दे । पूरे दिन इस पानी कि जगह यह मत्था ही पियें। चार पांच दिन तक यह प्रयोग करें । मस्से काफी ठीक हो जायेंगे ।
5 . छोटी पिप्पली को पीसकर उसका चूर्ण बना लें , इसे शहद के साथ लेने से भी आराम मिलता है ।
6 . नीम के छिलके सहित निम्बोरी के पाउडर को प्रतिदिन 10 ग्राम मात्रा में रोज सुबह बासी पानी के साथ सेवन करें , लाभ होगा । लेकिन इसके साथ आहार में घी का सेवन आवश्यक है ।
7 . जीरे को पीसकर मस्सों पर लगाने से भी फायदा मिलता है , साथ ही जीरे को भूनकर मिश्री के साथ मिलाकर चूसने से भी फायदा मिलता है ।
8 . बवासीर की समस्या होने पर आंवले के चूर्ण को सुबह - शाम शहद के साथ लेने से भी जल्दी फायदा होता है ।
9 . नीम का तेल मस्सों पर लगाने से और 4 - 5 बूंद रोज पीने से बवासीर में बहुत लाभ होता है ।
10 . एक चाय का चम्मच धुले हुए काले तिल ताजा मक्खन के साथ लेने से भी बवासीर में खून आना बंद हो जाता है ।
11 . 50 ग्राम बड़ी इलायची को तवे पर रखकर भूनते हुए जल दीजिये । ठंडी होने के बाद इस इलायची को पीस लीजिये । प्रतिदिन सुबह इस चूर्ण को पानी के साथ खाली पेट लेने से बवासीर में बहुत आराम मिलता है ।
12 . नियमित रूप से गुड़ के साथ हरड़ खाने से भी बवासीर में जल्दी ही फायदा होता है ।
13 . नागकेशर , मिश्री और ताजा मक्खन इन तीनो को रोजाना बराबर मिलाकर 10 दिन खाने से बवासीर में बहुत आराम मिलता है ।
14 . सुबह खाली पेट मूली का नियमित सेवन भी बवासीर को ख़त्म कर देता है ।
15 . बवासीर होने पर तरल पदार्थों का अधिक से अधिक सेवन करें ।
16 . सदैव ध्यान दें कि मल - विसर्जन के समय बायें पैर पर शरीर का दबाव रखें। इस प्रयोग से बवासीर का घातक रोग नहीं होता है ।
17 . बवासीर होने पर सरसों के तेल को सुबह - शाम मस्सों पर लगाये और नहाने के बाद ऊँगली से सरसो के तेल को गुदा के अंदर लगाएं 4 - 5 दिन में ही मस्से सूखने लगेंगे , 10 दिन में ही बवासीर में काफी आराम मिलेगा ।
18 . एक ग्राम काले तिल को एक ग्राम दूध के ताजे मक्खन के साथ मिलाकर सुबह - शाम खाने से बवासीर में 7 दिन में ही बहुत फायदा होता है ।
19 . बवासीर में 15 ग्राम प्याज के रस को 15 ग्राम चीनी के साथ मिलाकर सात दिन तक सुबह - शाम इसका सेवन करे , इससे बवासीर में बहुत फायदा मिलता है ।
20 . नीम के कोमल पत्तियों को घी में भूनकर उसमें थोड़े से कपूर डालकर टिकिया बना लें । टिकियों को गुदाद्वार पर बाँधने से मस्से नष्ट होते हैं ।
21 . थूहर के दूध में हल्दी का बारीक़ चूर्ण मिलाकर उसमें सूत का धागा भिगोकर छाया में सुखा लें। इस धागे से मस्सों को बांधें , मस्से को धागे से बांधने पर 4- 5 दिन तक खून निकलता है तथा बाद में मस्से सूख कर गिर जाते है। ध्यान रहे इसका प्रयोग कमजोर रोगी पर न करें ।
22 . मदार का दूध और हल्दी को पीसकर मस्सों पर रखकर लंगोट बांधे । इसको लगाने से मस्से सूखकर ठीक हो जाते हैं ।
23 . कालीमिर्च और स्याहजीरा (काल जीरा) को बराबर मात्रा में मिलकर चूर्ण बनाये । यह चूर्ण लगभग १ ग्राम का चौथा भाग से लगभग आधा ग्राम की मात्रा में शहद के साथ प्रतिदिन सुबह - शाम पीने से बवासीर के मस्से भी ठीक होते हैं ।
24 . काली मिर्च 3 ग्राम , पीपल ५ ग्राम। सौंठ 10 ग्राम तथा जिमीकंद 20 ग्राम को सूखाकर महीन चूर्ण बना लें। उस चूर्ण में 200 ग्राम गुड़ डालकर अच्छी तरह मिला लें । इसे बेर के बराबर गोलियां बनाकर 1 - 1 गोली दूध या जल के साथ प्रतिदिन दो बार पीने से खुनी तथा बादी दोनों बवासीर ठीक होती है ।
25 . लौकी के पत्तों को पीसकर बवासीर के मस्सों पर बांधने से कुछ ही दिनों में लाभ दिखना शुरू हो जाता है ।
26 . लौकी या तुलसी के पत्तों को जल के साथ पीसकर बवासीर के मस्से पर दिन में दो से तीन बार लगाने से पीड़ा व जलन कम होती है तथा मस्से भी नष्ट होते है ।
27 . मूली के रस में नीम की निबौली की गिरी पीसकर कपूर मिलकर मस्सों पर लेप करने से मस्से सूख जाते हैं ।
28 . सूखे आंवलों का चूर्ण 20 ग्राम लेकर 250 मिलीलीटर पानी में मिलकर मिटटी के बर्तन में रात भर भिगोकर रखें । दूसरे दिन सुबह उसे हाथों से मलकर छान लें तथा छने हुए पानी में 5 ग्राम चिरचिटा की जड़ का चूर्ण और 50 ग्राम मिश्री मिलकर पीयें । इसको पीने से बवासीर कुछ दिनों में हे ठीक हो जाते हैं और मस्से सूखकर गिर जाते है ।
29 . केरेले के बीजों सुखाकर इसका महीन पाउडर बनाकर इसे कपड़े से लें । इसके पाउडर में थोड़ी से शहद तथा सिरका मिलाकर मलहम बना लें , इस मलहम को लगातार 20 दिन तक मस्सों पर लगाने से मस्से सूख जाते है तथा बवासीर रोग ठीक हो जाता है ।
30 . बवासीर के मस्सो को दूर करने 2 प्याज को धीमी आग या राख़ की आग में सेंककर छिलका उतारकर लुगदी बनाकर मस्सों पर बंधने से मस्से तुरंत नष्ट हो जाते हैं ।
31 . चाय की पत्तियों को पीसकर मलहम बना लें और इसे गर्म करके मस्सों पर लगायें । इस मलहम को लगाने से मस्से सूखकर गिरने लगते हैं ।
32 . मेहंदी के पत्तों को जल के साथ पीसकर गुदाद्वार पर लगाकर लंगोट बांधे। इससे मस्से सूखकर गिर जाते है ।
33 . बैंगन को जला लें । इनकी रख शहद में मिलकर मरहम बना लें । इसे मस्सों पर लागाये । इससे मस्से सूखकर गिर जायेंगे ।
34 . हरसिंगार के बीजों को छील लें । 10 ग्राम बीज में 3 ग्राम कालीमिर्च मिलाकर पीसकर गुड पर लगाने से बाड़ी बवासीर ठीक होती है ।
35 . सांप की केंचुली को जलाकर इसे सरसों के तेल में मिलायें । इस तेल को गुदा पर लगाने से मस्से कटकर गिर जाते है ।
36 . कपूर को आठ गुना अरंडी के गर्म तेल में मिलकर मलहम बनाकर रखें । शौच के बाद मस्सों को धोकर और पोंछकर मस्सों पर मलहम को लगायें । इल्सको लगाने से दर्द , जलन , चुभन आदि में आराम रहता है तथा मस्से सूखकर गिर जाते हैं ।
37 . फूली हुई और दर्दनाक बवासीर पर हरी या सूखी भांग १० ग्राम अलसी , ३० ग्राम की पुल्टिश बनाकर बाँधने से दर्द और खुजली मिट जाती है ।
38 . चुकंदर खाने व रस पीते रहने से बवासीर के मस्से समाप्त हो जाते है ।
39 . बवासीर के मस्सों पर करीब एक महीने तक लगातार पपीते का दूध लगाने से मस्से सूख जाते है ।
40 . भूनी फिटकरी और नीलाथोथा 10 -10 ग्राम को पीसकर 80 ग्राम गाय के घी में मिलाकर प्रतिदिन सुबह - शाम मस्सों पर लगायें । इससे मस्से सूखकर गिर जाते है ।