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लकवा ( Paralysis ) का इलाज

जब एक या एकाधिक समूह की  मासपेशियाँ  कार्य करने में पूर्णतः  असमर्थ हों  तो इस स्थिति को पक्षाघात या लकवा मारना कहते हैं ।  पक्षाघात से प्रभावी क्षेत्र की संवेदन - शक्ति समाप्त हो सकती है या उस भाग को चलना - फिरना या घूमना असंभव हो जाता है । यदि बुरबलता आंशिक है तो उसे आंशिक पक्षाघात कहते है । अर्थात  जब हमारे शरीर का कोई अंग या हिस्सा कार्य करना बंद कर देता है तो उसे लकवा या पक्षाघात कहते है 

                                                                        


लकवा रोग होने का कारण

1   . बहुत अधिक मानसिक कार्य करने के कारण  लकवा रोग हो सकता है 

2  . अचानक किसी तरह का सदमा लग जाना , जिसके कारण  रोगी व्यक्ति को बहुत अधिक कष्ट  होता है और उसे लकवा रोग हो जाता है 

3  . गलत तरीके का भोजन का सेवन करने से लकवा रोग हो जाता है 

4  . मस्तिष्क तथा रीड  की हड्डी में बहुत तेज चोट लग जाने के कारण  लकवा रोग हो सकता है 

5  . सिर  में किसी बीमारी के कारण तेज दर्द होने से लकवा रोग हो सकता है 

6  . दिमाग से सम्बंधित अनेक बीमारी हो जाने के कारण  भी लकवा रोग हो सकता है 

7  . अत्यधिक नशीली दवाइयों का सेवन करने के कारण  भी लकवा रोगी हो सकता है 

8  . अधिक शराब तथा धूम्रपान करने के कारण  भी लकवा रोग हो जाता है 

9  . अधिक पढ़ने  लिखने का कार्य करने तथा मानसिक तनाव अधिक होने के कारण लकवा रोग हो जाता है 

10 . विषैले पदार्थों के सेवन या विषैले जानवरों के काटने से भी लकवा का खतरा हो सकता है 

11 . ऐसी कई बीमारियां जैसे हार्ट अटैक , एच  आई वी इंफेक्शन , आर्थराइटिस , स्पॉन्डलाइटिस आदि से भी लकवे का खतरा  बना रहता है 

12 . लकवे की स्थिति ज्यादातर प्रौढ़  अवस्था में आती है 

लकवा रोग होने के लक्षण

1  . बोलने में तकलीफ होना  

2  . आँखों में धुंधला दिखाई देना 

3  . बेहोश होना 

4  . बाएं पैर  या बाएं हाथ से काम न कर पाना 

5  . याददाश्त कमजोर होना 

6  . रोगी प्रभावित अंग में दर्द , गर्म , ठंडक आदि का एहसास नहीं कर पाता । दर्द न होना रोगी के लिए सबसे बड़ा दर्द है 

7  . प्रभावित अंग में झनझनाहट महसूस हो सकती है 

लकवे का घरेलु इलाज

1  . लकवे के रोगी को किसी भी प्रकार की नशीली चीजों से परहेज करना चाहिए । उन्हें भोजन में तेल , घी , माँस मछली का उपयोग भी नहीं करना चाहिए 

2  . जैसे ही लकवे का अटैक पड़े तुरंत उसी समय तिल का तेल 50 से 100  ग्राम की मात्रा में थोड़ा सा गर्म करके पी जायें व साथ में लहसुन भी चबा - चबाकर खाएं । अटैक आते ही लकवे से प्रभावित अंग एवम सिर  पर भी सेंक करना शुरू कर दें व आठ दिन बाद मालिश करें । लकवे में ज्यादा से ज्यादा उपवास करना चाहिये । उपवास में पानी में शहद मिलाकर लेते रहें 

3  . लकवे में एक बहुत ही सटीक उपचार माना जाता है । उसके अनुसार इस उपचार में पहले दिन लहसुन की पूरी कली पानी के साथ निगल जाएँ । फिर नित्य 1 - 1 कली  बढ़ाते हुए 21 वें  दिन पूरी 21  कलियाँ निगले तत्पश्चात नित्य 1 - 1  कली  घटते हुए निगले । इस प्रयोग को करने से लकवे में शीघ्र ही आराम मिलता है 

4  . नित्य सौंठ और उड़द  को उबालकर उसका पानी पिए । इसके नियमित सेवन से बहुत अधिक सुधार होता है । यह बहुत ही परीक्षित प्रयोग है 

5  . लकवे  के रोगी को प्रतिदिन दूध में भिगोकर छुहारा खाने से लकवे के रोग में बहुत लाभ प्राप्त होता है । लेकिन एक बार में 4  से अधिक छुहारे नहीं खाने चाहिए 

6  . लकवा रोग होने पर कलौंजी के तेल को हल्का गर्म करके जहाँ पर लकवा हो उस अंग पर मालिश करें , और एक बड़ी चम्मच तेल का दिन में तीन बार लें । 30  दिन में ही बहुत आराम मिल जायेगा 

7  . 60 ग्राम काली मिर्च लेकर इसे 250  ग्राम तेल में मिलाकर कुछ देर तक पकाएं । फिर इस तेल का लकवे से प्रभावित अंग पर पतला - पतला लेप करने से लकवा दूर होता है । इस तेल को उसी समय बनाकर गुनगुना लगाया जाता है ।इसका एक माह तक नियमित प्रयोग करने से आशातीत सफलता मिलती है 

8 . शरीर के जिस अंग पर लकवा हो , उस पर खजूर का गूदा मलने से भी लकवा रोग में बहुत आराम मिलता है 

9  . लकवा के रोग में 50  ग्राम शहद का 2  महीने तक नियमित रूप से सेवन करें , इससे लकवाग्रस्त अंगों में बहुत लाभ मिलता है 

10 . रोज सुबह और शाम लहसुन की 5  कली  को पीसकर उसे दो चम्मच शहद में मिलकर चाटे , एक महीने में ही लाभ नजर आने लगेगा 

11 . लहसुन की 5  कली  दूध में उबालकर उसका सेवन करें । इससे ब्लड प्रेशर भी ठीक रहेगा , लकवे वाले अंग में जान भी आ जाएगी 

12 . काली उड़द  की दाल को खाने के तेल के साथ गर्म करके उस तेल से लकवे से ग्रस्त अंगों पर मालिश करने से बहुत ही फायदा होता है 

13 . 10  ग्राम काली उड़द  की दाल , 5  ग्राम बारीक़ पिसी अदरक , को 50  ग्राम सरसों के तेल में 5  मिनिट तक गर्म करके इसमें 2  ग्राम पिसा हुआ कपूर का चूरा  डाले । फिर इस तेल से गुनगुना या हल्का गर्म रहने पर ही जोड़ों की मालिश करने से दर्द में राहत  मिलती है । इस तेल से लकवे और गठिया की समस्या में गजब का लाभ मिलता है 

14 . देसी गाय के 2  बून्द शुद्ध घी को सुबह - शाम डालने से लकवा के रोग में बहुत आराम मिलता है 

15 . लकवे के रोगियों को करेला ज्यादा से ज्यादा खाना चाहिए । इससे लकवे की समस्या में बहुत फायदा होता है । लकवे के मरीज को करेला कच्चा खाना चाहिए 

16 . लकवा रोग से पीड़ित रोगी का उपचार करने के लिए सबसे पहले इस रोग के होने के कारणों को दूर करना चाहिए । इसके बाद रोगी का उपचार प्राकृतिक चिकित्सा से कराना  चाहिए 

17 . लकवा रोग से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन भापस्नान करना चाहिए तथा इसके बाद गर्म गीली चादर से अपने शरीर के रोगग्रस्त भाग को ढंकना चाहिए और फिर कुछ  देर के बाद धूप  से अपने शरीर की सिंकाई करनी चाहिए 

18 . लकवा रोग से पीड़ित रोगी का उपचार करने के लिए उसके पेट पर गीली मिट्टी का लेप करना चाहिए , तथा उसके बाद रोगी को कटिस्नान करना चाहिए । इस प्रकार करने से कुछ ही दिनों में लकवा रोग ठीक हो जाता है 

19 .  लकवा रोग से पीड़ित रोगी को लगभग 10  दिनों तक फलों का रस , नींबू  का रस  , नारियल पानी , सब्जियों के रस या आंवले के रस  में शहद मिलाकर  पीना चाहिए 

20 . लकवा रोग से पीड़ित रोग से पीड़ित रोगी को कुछ सप्ताह तक बिना पका  हुआ भोजन करना चाहिए 

21 . लकवा रोग से पीड़ित रोगी को पूर्ण रूप से व्यायाम करना चाहिए जिसके फलस्वरूप कई बार दबी हुई नस तथा नाड़ियाँ वयायाम करने से उभर आती है , और वे अंग जो लकवे से प्रभावित होते है ठीक हो जाते है 

22 . एक बीरबहूटी केले में मिलाकर रोजाना देने से भी लकवे में बहुत लाभ होता है 

23 . सफ़ेद कनेर की जड़ की छाल  और काला धतूरा के पत्ते बराबर वजन में लेकर सरसों के तेल में पकाएं , इस तेल से लकवाग्रस्त अंगों पर मालिश करें  अवश्य लाभ होगा 

24 . आक के पत्तों को सरसों के तेल में उबालकर लकवाग्रस्त अंग की मालिश करें 

                                                                  


नोट  :- इस लेख में बताये गए नुस्खे आपकी जानकारी के लिए है। कोई भी उपाय करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें। पहले से ली जा रही कोई भी दवा बंद न करें। असुविधा होने पर इस साइट की कोई भी जिम्मेदारी नहीं होगी।