गर्दन में स्थित रीढ़ की हड्डियों में लंबे समय तक कड़ापन रहने , उनके जोड़ों में घिसावट होने या उनकी नसों के दबने के कारण बेहद तकलीफ होती है। इस बीमारी को सर्वाईकल स्पोंडलाइटिस कहा जाता है।दूसरे नाम सर्वाइकल ऑस्टियोआर्थराइटिस , नैक आर्थराइटिस और क्रोनिक नैक पेन के नाम से जाना जाता है। इसमें गर्दन एवं कंधों में दर्द तथा जकड़न के साथ - साथ सिर में पीड़ा तथा तनाव बना रहता है।
आधुनिक चिकित्सा में सर्वाईकल स्पोंड्लाइसिस का इलाज फिजियोथैरेपी तथा दर्द निवारक गोलियां हैं। इनसे तात्कालिक आराम तो मिल जाता हैं , किंतु यह केवल अस्थायी उपचार है। योग ही इस समस्या का स्थाई समाधान है , क्योंकि यह इस बीमारी को जड़ से ठीक कर देता हैं। लेकिन जब रोगी को चलने - फिरने में दिक्कत आने लगे तो दवाएं , फिजियोथेरेपी तथा आराम ही करना चाहिए , ऐसी स्थिति में यौगिक क्रियाओं का अभ्यास नहीं करना चाहिए , क्योंकि यह स्थिति रोग की गंभीर स्थिति होती है। आराम आते ही इससे पूरी मुक्ति के लिए किसी कुशल मार्गदर्शक की निगरानी में यौगिक क्रियाओं का अभ्यास प्रारम्भ कर देना चाहिए।
सर्वाईकल स्पोंडलाइटिस के कारण
1 . कोई गंभीर चोट या सदमा गर्दन के दर्द को बढ़ा सकता है।
2 . धूम्रपान भी एक महत्वपूर्ण कारक है।
3 . यह आनुवांशिक रूप से हो सकता है।
4 . निराशा और चिंता जैसी समस्याओं के कारण हो सकता है।
5 . अगर आप कोई ऐसा काम करते हैं जिसमें आपको गर्दन या सिर को बार - बार घुमाना पड़ता हैं।
6 . भोजन में पोषक तत्वों , कैल्शियम और विटामिन डी की कमी के कारण हड्डियों का कमजोर होना भी इसका एक कारण हो सकता हैं।
7 . अपने भोजन में तली - भुनी , ठंडी - बासी या मसालेदार पदार्थों का अधिक सेवन करने के कारण भी गर्दन में दर्द का रोग हो सकता हैं।
8 . गलत तरीके से बैठने खड़े रहने से भी यह रोग हो जाता हैं। जैसे खड़े रहना या कूबड़ निकालकर बैठना।
9 . भोजन में खनिज लवन तथा विटामिनों की कमी रहने के कारण भी गर्दन में दर्द की समस्या हो सकती हैं।
10 . कब्ज बनने के कारण भी गर्दन में दर्द हो सकता हैं।
11 . किसी दुर्घटना दुर्घटना आदि में किसी प्रकार से गर्दन पर चोट लग जाने के कारण भी गर्दन में दर्द का रोग हो सकता हैं।
12 . अधिक शारीरिक कार्य करने के कारण गर्दन में दर्द हो सकता हैं।
13 . मोटे गद्दे तथा नर्म गद्दे पर सोने के कारण गर्दन में दर्द हो सकता हैं।
14 . गर्दन का अधिक कार्यों में इस्तेमाल करने के कारण गर्दन में दर्द हो सकता हैं।
15 . अधिक देर तक झुककर कार्य करने से गर्दन में दर्द हो सकता हैं।
16 . वयायाम न करने के कारण भी गर्दन में दर्द हो सकता हैं।
17 . अधिक दवाइयों का सेवन करने के कारण भी गर्दन में दर्द हो सकता हैं।
18 . शारीरिक कार्य न करने के कारण भी यह रोग हो सकता हैं।
19 . किसी दुर्घटना में गर्दन लगने के कारण भी यह रोग हो सकता हैं।
स्पोंडलाइटिस के लक्षण
सर्विकल भाग में डी - जेनरेटिव परिवर्तनों वाले व्यक्तियों में किसी प्रकार के लक्षण दिखाई नहीं देते या असुविधा महसूस नहीं होती। सामान्यतः लक्षण तभी दिखाई देते हैं जब सर्विकल नस या मेरुदंड में दबाव या खिंचाव होता है।
1 . गर्दन में दर्द जो बाजू और कंधों तक जाती हैं।
2 . गर्दन में अकड़न जिससे सिर हिलाने में तकलीफ होती हैं।
3 .सिर दर्द विशेषकर सिर के पीछे के भाग में , कंधों , बाजुओं और हाथ में झुनझुनाहट या असंवेदनशीलता या जलन होना।
4 . मिचली , उलटी या चक्कर आना।
5 . मांसपेशियों में कमजोरी या कंधे , बांह या हाथ की मांस पेशियों की क्षति।
6 . निचले अंगों में कमजोरी , मूत्राशय और मलद्वार नियंत्रण न रहना।
सर्वाईकल स्पोंडलाइटिस का घरेलु उपचार
1 . सख्त गद्दे का प्रयोग करें और अपना सिर जमीन पर रखें। पीठ को 15 डिग्री तक मोड़ने वाले तकिये का प्रयोग करें। पेट के बल ना सोएँ। ये गर्दन को फैलाता हैं। पीठ के बल या करवट लेकर सोएँ।
2 . दर्द कम करने के लिए गर्दन पर बर्फ या गर्म , कोई एक सिंकाई करें। बारी - बारी से गर्म और ठंडे का प्रयोग किसी एक से ही करते रहने की अपेक्षा ,अधिक असरदार होता हैं।
3 . दवाई की दुकान पर मिलने वाले दर्द निवारक भी सर्वाईकल स्पोंड्लाइसिस के दर्द को नियंत्रित करने के लिए किया जा सकता हैं।
4 . गर्दन में पहनने हेतु नरम कॉलर गर्दन की गति सीमित करती है मांसपेशियों को आराम देती है लेकिन इसे थोड़े समय के लिए ही पहनना चाहिए क्योंकि लंबे समय तक पहनने से गर्दन की मांसपेशियों की शक्ति घट जाती हैं।
5 . नियमित वयायाम ना करना भी सर्वाइकल स्पोंडलाइटिस होने का सबसे बड़ा कारण हैं। नियमित वयायाम से गर्दन के दर्द को कम किया जा सकता हैं।
6 . लहसुन की दो कली हर सुबह खाली पेट पानी के साथ खाएं।
खाना बनाने वाले किसी भी तेल में लहसुन की कुछ कलियाँ डालकर भुने। इस तेल को गुनगुना होने तक ठंडा करें और प्रभावित हिस्से की मालिश करें। इस विधि को दिन में दो बार किया जा सकता हैं।
7 . एक चम्मच हल्दी को दूध में डालकर उबालें , ठंडा होने पर उसमे शहद मिलाएं , इसे दिन में दो बार पिएं।
8 . तिल के तेल को गुनगुना करके लगभग 10 मिनिट प्रभावित हिस्से की मसाज करें . इस क्रिया को दिन भर में 3 से 4 बार करें।
तिल को हल्का सा भूनकर रोज सुबह चबाएं। इसके अलावा गरम दूध में भुने हुए तिल डालकर भी पीया जा सकता हैं। एक दिन में लगभग दो गिलास दूध पिएं।
9 . एक दिन में लगभग 3 कप अदरक की चाय पिएं। अदरक की चाय बनाने के लिए पानी में अदरक उबालें और ठंडा करके इसमें शहद मिलाएं , इस पेय को पिएं। प्रभावित हिस्से की अदरक के तेल से भी मसाज की जा सकती हैं।
10 . किसी कपड़े को सेब के सिरके में भिगोकर प्रभावित स्थान पर लपेटें और कुछ घंटों के लिए छोड़ दें। दिन में दो बार इस विधि को करें।
दो कप सेब के सिरके को गुनगुने पानी में डालकर नहाया भी जा सकता हैं। एक गिलास पानी में कच्चा सेब का सिरका और शहद इलाकार पीने से भी लाभ होता हैं।
11 . अपनी तंत्रिका तंत्र को हमेशा नम रखें।
12 . कंप्यूटर पर अधिक देर तक न बैठें।
13 . विटामिन बी और कैल्शियम से भरपूर आहार का सेवन करें।
14 . पीठ के बल बिना तकिये के सोएं , पेट के बल न सोएं।
व्यायाम
गर्दन :-
1 . किसी भी आसन में सीधे बैठकर या खड़े होकर गर्दन को धीरे - धीरे बायीं ओर जितना हो सके उतना ले जाइये। गर्दन में थोड़ा तनाव आना चाहिए। इस स्थिति में एक सैकेंड रूककर वापस सामने ले आइए। अब दायीं और जितना हो सके उतना ले जाइए और फिर वापस लाइए। यही क्रिया 10 - 10 बार कीजिए। यह क्रिया करते समय कंधे बिलकुल नहीं घूमने चाहिए।
2 . यही क्रिया ऊपर से नीचे 10 - 10 बार कीजिए।
3 . यही क्रिया अगल - बगल 10 - 10 बार कीजिए। इसमें गर्दन घूमेगी नहीं , केवल बायें या दायें झुकेगी। गर्दन को बगल में झुकाते हुए कानों को कंधे से छुआने का प्रयास कीजिए। अभ्यास के बाद इसमें सफलता मिलेगी। तब तक जिंतना उतना झुकाइए।
4 . गर्दन को झुकाए रखकर चारों और घुमाइए। 5 बार सीधे और 5 बार उल्टे। अंत में एक - दो मिनिट गर्दन की चारों और हल्के - हल्के कीजिए।
कंधे :-
1 . सीधे खड़े हो जाइए , बायें हाथ की मुट्ठी बांधकर हाथों को गोलाई में 10 बार धीरे - धीरे घुमाइए। घुमाते समय झटका मत दीजिए और कोहनी पर से हाथ बिल्कुल मत मुड़ने दीजिये , अब 10 बार विपरीत दिशा में घुमाइए।
2 . यही क्रिया दायें हाथ से 10 - 10 बार कीजिए।
3 . अंत में दोनों हाथों को इसी प्रकार एक साथ दोनों दिशाओं में 10 - 10 बार घुमाइए।
कंधों के विशेष व्यायाम :-
1 . वज्रासन में बैठ जाइए , दोनों हाथों को कोहनियों से मोड़कर सारी उँगलियों को मिलाकर कंधों पर रख लीजिए , अब हाथों को गोलाई में धीरे - धीरे घुमाइए। ऐसा 10 बार कीजिए।
2 . यही क्रिया हाथों को उल्टा घुमाते हुए 10 बार कीजिए।
3 . वज्रासन में ही हाथों को दायें - बायें तान लीजिए और कोहनियों से मोड़कर उँगलियों को मिलाकर कंधों पर रख लीजिए । कोहनी तक हाथ दायें - बायें उठे और तने रहेंगे। अब सिर को सामने की और सीधा रखते हुए केवल धड़ को दायें - बायें पेण्डुलम की तरह झुलाइए। ध्यान रखिये कि केवल धड़ दायें - बायें घूमेगा। सर अपनी जगह स्थिर रहेगा और सामने देखते रहेंगे। ऐसा 20 से 25 बार कीजिए।
इन सभी व्यायामों को एक बार पूरा करने में मुश्किल से 10 मिनिट लगते हैं। इनको दिन में 3 - 4 बार नियमित रूप से करने पर स्पोंडलाइटिस और सर्वाईकल का कष्ट केवल 5 - 7 दिन में अवश्य ही समाप्त हो जाता हैं। सोते समय तकिया न लगाएं जल्दी लाभ मिलेगा।