वेरिकोज वेन्स शब्द चिकित्सा जगत के लिए एक सामान्य शब्द हो लेकिन जन - सामान्य के लिए के दुःखदायी स्थिति होती हैं। आज हम इसी शब्द में छिपे एक दुखदायी स्थिति की चर्चा करेंगे जिससे क्या आम और ख़ास सभी पीड़ित होते हैं।
क्या हैं वेरीकोज वेन्स ?
वेन्स शब्द का नाम दिमाग में आते ही हम ऐसी शिराओं की कल्पना करते हैं जो डी - ओक्सीजेनेटेड रक्त को शरीर की विभिन्न भागों से ह्रदय की और लाती हैं। इन शिराओं में पाए जाने वाले वॉल्व्स के लीफ्लेटस रक्त के विपरीत प्रवाह को रोकते हैं।
आप जरा इन वेन्स के कार्यप्रणाली पर गौर करें जब हम सीधे खड़े होते हैं तब भी ये शिरायें पैर के निचले हिस्से से गुरुत्वाकर्षण बल के विपरीत डी - ऑक्सीजेनेटेड रक्त को ह्रदय तक पहुँचाती हैं। अब जरा सोचिये इन शिराओं में पाए जाने वाले वॉल्व्स पर ( गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ) विपरीत दिशा में रक्त के प्रवाह को रोकने का कितना दबाव होता होगा जब ये वॉल्व्स स्वयं में आई गड़बड़ी के कारण ठीक से अपना कार्य न कर पाती हों जिसे चिकित्सा विज्ञानं की भाषा में वोलव्यूलर इंकम्पीटेन्स कहते हैं तो रक्त का प्रवाह नीचे की ओर ( गुरुत्वाकर्षण बल की दिशा में ) होने लग जाता है जिस कारण ये शिराएँ फूल जाती हैं।
यद्धपि शिराओं का वॉल्वयूलर इंकम्पीटेन्स ( वॉल्व की गड़बड़ी ) के कारण किसी हिस्से में हो सकता हैं लेकिन इसका सबसे अधिक प्रभाव पैर के शिराओं में देखने में आता हैं।
वेरिकोज वेन्स के कारण
1 . ख़राब दिनचर्या और व्यायाम तथा अच्छे खानपान की कमी से ये समस्या होती हैं।
2 . घंटो तक बैठे रहना , शारीरिक गतिविधि की कमी से भी वेरिकोज वेन्स की समस्या हो सकती हैं।
3 . अधिक जंक फ़ूड खाना।
4 . गर्भावस्था , लम्बे समय तक कब्ज आदि के कारण भी नसों में उभार आ सकता हैं।
5 . भारी वजन उठाने या कठिन अभ्यास करने से भी ये समस्या हो सकती हैं।
6 . विटामिन सी की कमी से आने वाली कमजोरीए से भी ऐसा हो सकता हैं।
7 . किसी - किसी में लीवर की खराबी , ह्रदय रोग और गठिया की वजह से भी ये होता हैं।
8 . कई बार ज्यादा वजन उठाने और काफी कठोर व्यायाम करने से पैरों पर अत्यधिक दबाव पड़ता हैं , जिसकी वजह से इन नसों की उत्पत्ति होती हुई देखि जा सकती हैं।
9 . आनुवंशिकता भी इसका एक कारण हैं , जिसकी वजह से वेरिकोज नसों की समस्या पैदा हो सकती हैं।
10 . दिल के दौरे , गुर्दे की किसी बीमारी और ट्यूमर की वजह से भी शरीर में वेरिकोज नसें उत्पन्न हो जाती हैं।
11 . मोटापे के कारण भी नसें सूज जाती हैं।
12 . उम्र का कारक भी वेरिकोज नसों की बढ़त में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं।
वेरिकोज वेन्स के लक्षण
1 . आपको अचानक त्वचा के नीचे बड़ी मुड़ी हुई शिराएं दिखाई देने लग जायेंगी।
2 . टखनों एवं एड़ियों में अचानक सूजन रक्त के विपरीत दिशा में इकट्ठा होने के कारण पैदा होने वाले दबाव से उत्पन्न हो जाएगी।
3 . पैरों में दर्द , ऐंठन और भारीपन सा महसूस होने लगेगा।
4 . कई बार पैर के निचले हिस्से में खुजलाहट उत्पन्न होने लगती हैं जिसे अक्सर डर्मेटाइटिस समझ लिया जाता हैं।
5 . पैर में होने वाला दर अक्सर हथोड़े की चोट सा एहसास दिलाता हैं।
6 . वेरिकोज वेन्स वाले हिस्से में त्वचा का रंग असामान्य हो जाता हैं।
आप जरा इन वेन्स के कार्यप्रणाली पर गौर करें जब हम सीधे खड़े होते हैं तब भी ये शिरायें पैर के निचले हिस्से से गुरुत्वाकर्षण बल के विपरीत डी - ऑक्सीजेनेटेड रक्त को ह्रदय तक पहुँचाती हैं। अब जरा सोचिये इन शिराओं में पाए जाने वाले वॉल्व्स पर ( गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ) विपरीत दिशा में रक्त के प्रवाह को रोकने का कितना दबाव होता होगा जब ये वॉल्व्स स्वयं में आई गड़बड़ी के कारण ठीक से अपना कार्य न कर पाती हों जिसे चिकित्सा विज्ञानं की भाषा में वोलव्यूलर इंकम्पीटेन्स कहते हैं तो रक्त का प्रवाह नीचे की ओर ( गुरुत्वाकर्षण बल की दिशा में ) होने लग जाता है जिस कारण ये शिराएँ फूल जाती हैं।
यद्धपि शिराओं का वॉल्वयूलर इंकम्पीटेन्स ( वॉल्व की गड़बड़ी ) के कारण किसी हिस्से में हो सकता हैं लेकिन इसका सबसे अधिक प्रभाव पैर के शिराओं में देखने में आता हैं।
वेरिकोज वेन्स के कारण
1 . ख़राब दिनचर्या और व्यायाम तथा अच्छे खानपान की कमी से ये समस्या होती हैं।
2 . घंटो तक बैठे रहना , शारीरिक गतिविधि की कमी से भी वेरिकोज वेन्स की समस्या हो सकती हैं।
3 . अधिक जंक फ़ूड खाना।
4 . गर्भावस्था , लम्बे समय तक कब्ज आदि के कारण भी नसों में उभार आ सकता हैं।
5 . भारी वजन उठाने या कठिन अभ्यास करने से भी ये समस्या हो सकती हैं।
6 . विटामिन सी की कमी से आने वाली कमजोरीए से भी ऐसा हो सकता हैं।
7 . किसी - किसी में लीवर की खराबी , ह्रदय रोग और गठिया की वजह से भी ये होता हैं।
8 . कई बार ज्यादा वजन उठाने और काफी कठोर व्यायाम करने से पैरों पर अत्यधिक दबाव पड़ता हैं , जिसकी वजह से इन नसों की उत्पत्ति होती हुई देखि जा सकती हैं।
9 . आनुवंशिकता भी इसका एक कारण हैं , जिसकी वजह से वेरिकोज नसों की समस्या पैदा हो सकती हैं।
10 . दिल के दौरे , गुर्दे की किसी बीमारी और ट्यूमर की वजह से भी शरीर में वेरिकोज नसें उत्पन्न हो जाती हैं।
11 . मोटापे के कारण भी नसें सूज जाती हैं।
12 . उम्र का कारक भी वेरिकोज नसों की बढ़त में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं।
वेरिकोज वेन्स के लक्षण
1 . आपको अचानक त्वचा के नीचे बड़ी मुड़ी हुई शिराएं दिखाई देने लग जायेंगी।
2 . टखनों एवं एड़ियों में अचानक सूजन रक्त के विपरीत दिशा में इकट्ठा होने के कारण पैदा होने वाले दबाव से उत्पन्न हो जाएगी।
3 . पैरों में दर्द , ऐंठन और भारीपन सा महसूस होने लगेगा।
4 . कई बार पैर के निचले हिस्से में खुजलाहट उत्पन्न होने लगती हैं जिसे अक्सर डर्मेटाइटिस समझ लिया जाता हैं।
5 . पैर में होने वाला दर अक्सर हथोड़े की चोट सा एहसास दिलाता हैं।
6 . वेरिकोज वेन्स वाले हिस्से में त्वचा का रंग असामान्य हो जाता हैं।
वेरिकोज वेन्स के घरेलू उपचार
1 . सेब साइडर सिरका वेरिकोज वेन्स के लिए एक अदभुत उपचार हैं। समस्या होने पर सेब साइडर सिरके को उस हिस्से में लगाकर मालिश करें। कुछ दिन ऐसा करने से कुछ महीनों में वेरिकोज वेन्स का आकर काम होने लगता हैं। या फिर एक गिलास पानी में दो चम्मच सेब साइडर सिरके को मिलाकर पिए। अच्छे परिणाम पाने के लिए इस मिश्रण का महीने में दिन में दो बार सेवन करें।
2 . लाल शिमला मिर्च को वेरिकोज वेन्स के इलाज के लिए एक चमत्कार की तरह माना जाता हैं। गर्म पानी में एक चम्मच लाल शिमला मिर्च के पाउडर को मिलाकर , इस मिश्रण को एक से दो महीने के लिए दिन में तीन बार सेवन करें।
3 . जैतून के तेल और विटामिन ई तेल को बराबर मात्रा में मिलाकर उसे थोड़ा सा गर्म कर लें। इस गर्म तेल से नसों की मालिश कई मिनिट तक एक से दो महीने के लिए करें।
4 . छह लहसुन की कली लेकर उसे एक साफ़ जार में डाल लें। तीन संतरे का रस लेकर उसे जार में मिलायें। फिर इसमें जैतून का तेल मिलायें। इस मिश्रण को 12 घंटे के लिए रख दें। फिर से कुछ बूंद हाथों में लेकर 15 मिनिट के लिए सूजन वाली जगह पर मालिश करें। इस पर सूती कपड़ा लपेटकर रात भर के लिए छोड़ दें। इस उपाय को कुछ महीनों के लिए नियमित करें।
5 . अखरोट के तेल में एक साफ़ कपड़े को डुबोकर प्रभावित क्षेत्र पर लगाये। ऐसा एक या दो महीने के लिए दिन में दो से तीन बार करें।
6 . अंगूर के बीज के तेल से मालिश करें इसमें एंटी इंफ्लेमेंटरी तत्व होते हैं , जो सूजन को कम करते हैं।
7 . गेंदे के फूलों के रस को नसों पर लगाने से फायदा होता हैं।
8 . एक मुट्ठी ताजा अजवायन लेकर उसे एक कप पानी में पांच मिनिट के लिए उबाल लें। फिर इस मिश्रण को ठंडा होने के लिए रख दें। फिर इस मिश्रण में गुलाब और गेंदे के तेल की एक - एक बूंद मिला लें। अब इस मिश्रण को कुछ देर के लिए फ्रिज में रख दें। इस मिश्रण को कॉटन पर लगाकर प्रभावित क्षेत्र पर लगायें। अच्छे परिणाम पाने के लिए इस उपाय को कुछ महीनों तक करें।
9 . अर्जुन की छाल वेरिकोज वेन्स के लिए एक बहुत बढ़िया दवा हैं। अगर आप इस समस्या से परेशान हैं तो आप रात को सोते समय गाय के दूध में या साधारण पानी में अर्जुन की छाल को चाय की तरह उबालें और आधा रहने पर इसको छानकर पी लें।
10 . रोज मॉर्निंग वॉक करें। इससे टांगों की नसें मजबूत होते हैं।
11 . लेटते समय अपने पैरों को ऊँचा उठाकर रखें , चाहे पैरों के नीचे तकिया रख लें। इस पोजिशन में सोना बहुत फायदेमंद होता हैं।
12 . ज्यादा टाइम तक एक ही समय में एक जगह न तो खड़े रहे और न ही बैठे रहें। इससे नसों पर जोर पड़ता हैं और इनमें सूजन आती है।
13 .स्मोकिंग न करें , क्योंकि वेरिकोज वेन्स से पीडित लोगों के लिए स्मोक बहुत खतरनाक होती हैं।
14 . रोगी व्यक्ति को नारियल का पानी , जौ का पानी , हरे धनिया का पानी , गाजर का रस , पत्ता गोभी , पालक का रस पीकर उपवास रखना चाहिए। तथा हरी सब्जियों का सूप भी पीना चाहिए।
15 . कुछ दिनों तक रोगी व्यक्ति को फल सलाद तथा अंकुरित दालों को भोजन के रूप में सेवन करना चाहिए तथा रोगी व्यक्ति को वो चीजें कहानी चाहिए जिसमें विटामिन सी तथा विटामिन ई की मात्रा अधिक हो।
16 . पीड़ित रोगी को गरम पानी का एनिमा भी लेना चाहिए।
17 . जब रोगी व्यक्ति को ऐंठन तथा दर्द अधिक तेज हो रहा हो तो गर्म तथा ठन्डे पानी से स्नान करना चाहिए। रोगी व्यक्ति को गहरे पानी में खड़ा करने से उसे बहुत लाभ होता हैं।
18 . वेरिकोज रोग से पीड़ित रोगी को अधिक वजन उठाने का कार्य नहीं चाहिए , क्योंकि इससे रोग का प्रभाब और अधिक बढ़ सकता हैं।
7 . गेंदे के फूलों के रस को नसों पर लगाने से फायदा होता हैं।
8 . एक मुट्ठी ताजा अजवायन लेकर उसे एक कप पानी में पांच मिनिट के लिए उबाल लें। फिर इस मिश्रण को ठंडा होने के लिए रख दें। फिर इस मिश्रण में गुलाब और गेंदे के तेल की एक - एक बूंद मिला लें। अब इस मिश्रण को कुछ देर के लिए फ्रिज में रख दें। इस मिश्रण को कॉटन पर लगाकर प्रभावित क्षेत्र पर लगायें। अच्छे परिणाम पाने के लिए इस उपाय को कुछ महीनों तक करें।
9 . अर्जुन की छाल वेरिकोज वेन्स के लिए एक बहुत बढ़िया दवा हैं। अगर आप इस समस्या से परेशान हैं तो आप रात को सोते समय गाय के दूध में या साधारण पानी में अर्जुन की छाल को चाय की तरह उबालें और आधा रहने पर इसको छानकर पी लें।
10 . रोज मॉर्निंग वॉक करें। इससे टांगों की नसें मजबूत होते हैं।
11 . लेटते समय अपने पैरों को ऊँचा उठाकर रखें , चाहे पैरों के नीचे तकिया रख लें। इस पोजिशन में सोना बहुत फायदेमंद होता हैं।
12 . ज्यादा टाइम तक एक ही समय में एक जगह न तो खड़े रहे और न ही बैठे रहें। इससे नसों पर जोर पड़ता हैं और इनमें सूजन आती है।
13 .स्मोकिंग न करें , क्योंकि वेरिकोज वेन्स से पीडित लोगों के लिए स्मोक बहुत खतरनाक होती हैं।
14 . रोगी व्यक्ति को नारियल का पानी , जौ का पानी , हरे धनिया का पानी , गाजर का रस , पत्ता गोभी , पालक का रस पीकर उपवास रखना चाहिए। तथा हरी सब्जियों का सूप भी पीना चाहिए।
15 . कुछ दिनों तक रोगी व्यक्ति को फल सलाद तथा अंकुरित दालों को भोजन के रूप में सेवन करना चाहिए तथा रोगी व्यक्ति को वो चीजें कहानी चाहिए जिसमें विटामिन सी तथा विटामिन ई की मात्रा अधिक हो।
16 . पीड़ित रोगी को गरम पानी का एनिमा भी लेना चाहिए।
17 . जब रोगी व्यक्ति को ऐंठन तथा दर्द अधिक तेज हो रहा हो तो गर्म तथा ठन्डे पानी से स्नान करना चाहिए। रोगी व्यक्ति को गहरे पानी में खड़ा करने से उसे बहुत लाभ होता हैं।
18 . वेरिकोज रोग से पीड़ित रोगी को अधिक वजन उठाने का कार्य नहीं चाहिए , क्योंकि इससे रोग का प्रभाब और अधिक बढ़ सकता हैं।
नोट :- इस लेख में बताये गए नुस्खे आपकी जानकारी के लिए है। कोई भी उपाय करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें। पहले से ली जा रही कोई भी दवा बंद न करें। असुविधा होने पर इस साइट की कोई भी जिम्मेदारी नहीं होगी।